मेंवाड राजवंश
मेंवाड़ *"त्रण झाला त्रण पुरबिया (चौहान),* *चूंडावत भड चार |* *दोय शक्ता, दो राठौड़,* *सारंगदेव न पंवार ||"* मेवाड़ के प्रथम श्रेणी सामंतों के ठिकाने - 16 उमराव ये ठिकाने हैं । 1) बड़ी सादड़ी (झाला) 2) देलवाड़ा (झाला) 3) गोगुन्दा (झाला) 4) बेदला (चौहान) 5) पारसोली (चौहान) 6) कोठारिया (चौहन 7) सलूम्बर (चुण्डावत) 8) आमेट (चुण्डावत) 9) देवगढ़ (चुण्डावत) 10) बेगूं (चुण्डावत) 11) भीण्डर (शक्तावत) 12) बान्सी (शक्तावत) 13) बदनोर (राठौड़) 14) घाणेराव (राठौड़) 15) कानोड़ (सारंगदेवोत) 16) बीजोलिया (पंवार) *अन्य 5 ठिकाने जो बाद में जोड़े गए* 17) भैंसरोड़गढ़ (चुण्डावत) 18) कुराबड़ (चुण्डावत) 19) आसींद (चुण्डावत) 20) मेजा (चुण्डावत) 21) सरदारगढ़ (डोडिया)*मेवाड़ के सामंत* महाराणा अमरसिंह द्वितीय ने मेवाड़ के सामंतों की 3 श्रेणियां बनाई थीं । *प्रथम श्रेणी* महाराणा अमरसिंह द्वितीय के समय 16 ठिकानों के सामंतों को प्रथम श्रेणी में रखा गया, महाराणा के देहांत के बाद भैंसरोड़, कुराबड...