जालोड़ा जागीर मारवाड़
🍁 जालोड़ा जागीर मारवाड़ 🍁
मेंवाड के डोडिया राजपूत
🚩 जालोड़ा जागीर का इतिहास 🚩
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🚩जय श्री गणेशाय नमः 🚩
🚩जय माँ कुलदेवी हिंगलाज माता 🚩
🚩जय माँ चामुंडा माता 🚩
🚩जय माँ नागनेची माता 🚩
🚩जय पुर्वज बावजी नमः 🚩
🚩जय भेरू नाथ जी 🚩
🚩जय समुद्र देव 🚩
🚩जय माँ कुलदेवी हिंगलाज माता 🚩
🚩जय माँ चामुंडा माता 🚩
🚩जय माँ नागनेची माता 🚩
🚩जय पुर्वज बावजी नमः 🚩
🚩जय भेरू नाथ जी 🚩
🚩जय समुद्र देव 🚩
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👇जालोड़ा जागीर पता👇
गांव - जालोड़ा (जागीर)
तहसील-फलोदी,लोहावट
जिला -जोधपुर राज्य-राजस्थान
गांव जालोङा की जागीर डोडिया राजपुत को कैसै मिली, और कितनी मिली क्यो मिली।बात यह है की जालोङा गाॅव का नामकरण जालो वालो एक रूंख कै नाम सै है ।यहा इस जालो वाला गाव मै जालो कै रूंख बहुतायत थै इस लियै यहा पर डकैत ज्यादा रहतै थै ।राजाओ कै समय मै भी ।राजाओ कै समय यह गाँव एक डकैत ।डुंगसिह s/oरागैसिह राठौङ का 24 गाव का पटा था ।यै जयसिह राठौङ जाती कै राजपुत थै।जोधपुर दरबार कै भाईयो मै थै ।ऊनकै पिता कै नाम सै रागासर तालाब व छत्रिया और ईतियास आज भी मौजुद है । बाद मै विक्रम समत 1340 कै लगभग ईसको पाबुजी दैव धाधल कै पुत्र ।उन्होनै ईसको मार दिया । बाद मै यै जालो वालो गाव ।250 वर्ष खालसै रहा यानी कोई ठाकुर नही ।फिर बादमै ।जोधपुर दरबार राजा मानसिह जी कै वक्त मै यै गाव नव नाथो को दिया गया ।ईसी समय सीहङ भाटी भोमीचारा कै रूप मै आयै ।और फिर जाखण गाव सै एक घर दैरावर भाटी का और आया ।वह दैरावर भाटी नाथो की जागीर मै नव नाथो का चैला बन गया नाथो नै अपनै छैलै की एक बच्ची बङी हुई तो कहा की हम ईस बच्ची की शादी राजा मानसिह सै कर वाकै और जालोवाला गाव अपनै छैलै दैरावर भाटी को दिला दिया।अब यै गाव ।भाटी दैरावर भाटी कै पास था ।तब वि:समत 1610 मै डोडिया ठाकुर माधुसिह जी सरदारगढ कै ठाकुर सरदासिह कै आठवै पुत्र की औलाद है जो की यहा मारवाङ मै भाखरी गाव कै ठाकुर करणोत कै यहा पर अपनै दादाणै आयै हुवै थै ।ऐसै ही मिलनै कै लियै।तब अचानक भाखरी कै ठाकुर कै पास जोधपुर राजाजी का दिवान आया और कहा की बिकानैर दरबार नै अपनै कई घुङ सैनिक कै साथ जौधपुर सिमा मै हमला कर रहै है ।ईसलियै बिकानैर सैनिक यहा भाखरी तक पहुच नै वालै है ।तबी भाखरी आयै हुवै महमान । डोडिया माधुसिह जीऔर भाखरी ठाकुर ।कै रसालै मै बिकानैर कै सैनिको सै लङनै गयै डोडिया माधुसिह नै लङतै लङतै बिकानैर सैनिको को उदट गांव तक पिछै धकैल दिया ।वाहा पर डोडिया माधुसिह जी नै सिमा रैखा तय की ।फिर ईस युध्द मै डोडिया माधुसिह जी ।काम आ गयै । तब जोधपुर राजा नै ।लोहावट गाव जो की भाखरी कै पास ही है ।जो लोहावट गाव का पट्टा।डोडिया ।माधुसिह कै नाम कर दिया ।तब सै लोहावट कै निकट डोडिया ।माधुसिह की मुर्ती आज दिन मोजुद है ।और यै कहानी सरदारगढ कै बङवाजी ,राव की बैही मै आज भी मौजुद है ।फिर यह हुआ मामला ।की डोडिया माधुसिह कै वंशज मारवङ मै जागीर संभालनै नही आ सकै ।तब ईस लोहावट गाव की रैख चाकरी ।जोधपुर कै राजाजी नै एक माहजन कामदार बणिया जाती कै मोहतै को सुपुर्त करदी ।यै पता जब भाखरी कै ठाकुर जो की डोडिया माधुसिह कै दादाणी है ।ऊनको यै बात पता चली ।तो भाखरी ठा: साहैब नै यै खबर ।मैवाङ पहुचाई ।तो डो: माधुसिह कै वंशज जोधसिह नै अपनै दरबार उदयपुर सै गुजारस की ।कै मारवाङ ।मै हमारी जगीर लोहावट को जोधपुर राजा नै किसी बणियै को दै दैया है इसलियै आप जोधपुर राजा जी सै कहियै की डोडिया की जागीर सिर कटी है मारवाङ मै ईसको बरकारार रखै ।उस समय ।जोधपुर दरबारऔर उदयपुर दरबार मै रिस्तैदरी थी मामु ।भाणैज की ।यानी जोधपुर राजा विजैसिह जी ।उदयपुर दरबार कै मामाजी लगतै थै ।इसलियै उदयपुर दरबार नै जोधपुर सै कहा की डोडिया जोधसिह को ।मारवाङ मै वापस जागीर दी जाय ।जोधपुर नै मान लिया।जब ।और नारलाई 84 गाव का पट्टा डोडिया जोधसिह कै नाम किया ।जब खुशी सै उदयपुर राजा नै जोधपुर राजा विजसिह जी की शादी डोडिया बाईसा गुलाब कंवर सै सिरदारगढ करवाई गई ।बाद मै जब नारलाई गाव कै पट्टै मै कोई अच्छै करसण 84 गाव कै नाम लिखानै को डो: ठा: जोधसिह सै जोधपुर राजाजी कहा ।तब हमारै पुर्वज वापस भाखरी ठा:साहब कै पास आयै ।और कहा की आप हमारै रिश्तैदार भी है और मारवाङ कै जानकार भी ।इसलियै ।हमारै साथ चलै और अच्छै करसण कै गाव हमारै नारलाई 84 गाव कै पट्टै मै लिखाए ।तब भाखरी ठा: और हमार डोडिया पुर्वज ।दोनो भाखरी घोङो पर चलकर जालोङा यानी जालोवाला गाव आए ।जिस समय जालोङा उर्फ जालोवाला गाव दैरावर भाटी की जागीर थी। तब यह दोनो भाखरी ठा: व डोडियो दोनो रात रहनै कै लिय यहा दैरावर भाटी कै यहा रकना था ।तो दै:भाटी कै यहा बातै की तब दिन ढिलनै को ही था तब कुछ आपस मै बात करतै समय किसी बात पर उलझ गयै ।तबी दै:भाटी नै कहा यहा आयै है गाव पट्टे मै लिखवानै ।दै: भाटी को शख हो गया की यै शायद मैरै गाव मै कुछ गङबङ कर सकतै है ।ईसलिय इसको यहा रात नही रूकनै दैना ।यह समझ और दै: भाटी अन्दर मैल मै चला गया ।तब ।डोडिया और भाखरी ठा: को गुस्सा आ गया और कोट सै बाहर निकल कर दै:भाटी को आवाज लगाई ।और कहा ।की दै:भाटी साहब अब हम रात नही रकैगै ।पर ईतना कहकै जातै है की यै 84गाव नारलाई का पट्टा भलैही चला जाए पर ।अब हम डोडिया की जागीर ईस गाव जालोङा मै ही लैकर रहैगै ।यह कह कर डोडियो और भाखरी ठा: वापस रात को अपनै भाखरी गाव आगयै ।और सुबह होतै ही जोधपुर राजा विजैसिह कै पास चलै आऐ ।और वह 84 गाव नारलाई का पट्ट् वापस राजाजी को शोप दिया ।तब राजा साहैब विजैसिह नै कहा की क्या बात होगयी जो की आप यै पट्टा वापस सौप रहै हो डोडिया साहैब ।जब डोडिया ।की हुकम ।आपको पट्टा हमको दै ही है तो हुकम ।एक जालोङा यानी जालोवाला गाव है ।उसमै ही दैवो हुकम ।नही तो नही दै हुकम ।हमारी बात की ईजत रखो हुकम ।तब दरबार नै हुकम दिया ।कामदार को ।की बैही मै दैखो जालोङा किसकै नाम है या खालसै है ।तब कामदार नै दैख कै कहा की ।हुकम यह जालोङा जालोवाला गाव है जहा पर हुकम आपकै पुर्वज नै तोरण बाधा है ।तब विजसिह नै कहा की हम राजा लोग कयी शादिया करतै है ।ईन सम्बंध सै कोई मतलब नही ।राजाजी नै डोडियै की बात को मानतै हुवै गाव जालोङा जालोवाला मै बंट एक बटा दो यानी आधा आधा कर दिया ।आधा डोडिया रणजीतसिह कै नाम ।और आधा दै: भाटी कै नाम कर ।कै डोडिया रणजीतसिह मैवाङ कै नाम का पट्टा कर दिया ।और डोडिया नै जालोङा आकर आपनी बात रखनै कै लियै ।दैरावर भाटी कै मैहल कै पास ही बिलकुल बगल मै वैसा ही मैहल माळिया बनाया ।वो आज भी दोनो पास मै मोजुद है ।एक बात आपको याद दिलादै की यै दैरावर भाटी ।अपनी पदवी अब बङै पिता रावलसिह कै नाम सै रावलोत भाटी लगातै है ।?यही सब कहानी जालोङा की सरदारगढ डोडिया कै बङवा रावजी कै पास भी मिलैगी ?
वर्तमान ठाकुरसाहब जालोङा जागीर
ठा.सा चंनण सिंह जी डोडिया
जशवन्त सिंह डोडिया
ठिकाणा -सरदारगढ़
बागोल-जागीर
गांव -कोटेला
पोस्ट -बागोल
तहसील -नाथद्वारा
जिला-राजसमंद
राज्य-राजस्थान
पिनकोड-313301
मो,9950555091
आयल सिंह डोडिया
ठिकाणा -सरदारगढ़
जालोङा-जागीर
गांव -जालोङा
तहसील -फलोदी, लोहावट
जिला -जोधपुर
राज्य-राजस्थान
मो,7023948883
👇जालोङा जागीर फोटो 👇
बड़े पुत्र सरूप सिंह जी डोडिया
ठिःजालोङा जागीरदार मारवाङ (मेंवाड )
यह फोटो ठा:सरूप सिंह जी डोडिया के
बड़े पुत्र श्री दैवीसिंह जी डोडिया
ठि:जालोङा जागीरदार मारवाड़ (मेंवाड)
यै उस टाईम की लिखावट है पुरानै कागज की लमाबाई की वजह सै कापी दो की गई है ।ईसमै लिखा है ।। मारवाङ माहाराज विजैसिह ।डोडिया ठा: बखतसिह जी सिरगढ को अगलो पट्टो को गाव चून्दा जिलै मैङता निसक हिसा पिपलोदा नारलाई जिलै सोजत व मामङोदा जिला नागोर अम्बिया वगैरा गाव दिया ।जिण री आमदंनी सुपीया ।7750रू सात हजार सातसै नी चुक कारण सु माहाराज श्री भीमसिह जी राजवीयानै चुक करायो जद लावा रा भाणैज सुरसिह जी नै भी चुक करायो जिण रीस सु वारा मां ईन्द्र भाणैत जी भीत सु माथा री टकर दैकै दैह त्याग दीवी और ऊण मोकै बखतसिह को पट्टो जबत हुवो ।और संमत 1963 जब बिकानैर सु लोहावट पर फौज चङ आई जद बखतसिह को बैटो माधुसिहजी डोडिया गयै भाखरी ठा: रतनसिह की फौज मै मुकाबलो कियो और बिकानैर की फौज को ।।(अब अगलै पुस्ठ) मै।
को सिक्स दीवी ऊठै माधुसिह डोडिया नै लोहा पङीया गोलीया लागी और तीन चार आदमी काम आ गयै ।ईसकै सिल सिलै मै माहाराज भीमसिह बहुत प्रशन हुवै ।जब ईनकै बाद संमत 1977माहराज श्री मानसिहजी नै आगला पट्टा री एवज मै गाव जालोङो जिलै फलोदी रो दुसरो हिसो ईनायत कियो और कुरब रो बरताव । रनजीतसिह डोडिया साईरीयो ।(बखतसिह/सिरदारसिघोत)(माधोसिह /बखतसिघोत)(जोधसिह/माधोसिघोत)(रनजीसिह /जोधसिघोत)मोजुदा ठाकूर।उण टाईम मै पट्ठै मै बादमै (सरूपसिह /रन जीतसिह)(दैवीसिह /सरूपसिह)
जोधपुर मारवाङ मै है ।
मेंवाड के डोडिया राजपूत
ठिकाणा -जालोङा
जोधपुर मारवाड़
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👇जालोड़ा जागीर पता👇
गांव - जालोड़ा (जागीर)
तहसील-फलोदी,लोहावट
जिला -जोधपुर राज्य-राजस्थान
गांव जालोङा की जागीर डोडिया राजपुत को कैसै मिली, और कितनी मिली क्यो मिली।बात यह है की जालोङा गाॅव का नामकरण जालो वालो एक रूंख कै नाम सै है ।यहा इस जालो वाला गाव मै जालो कै रूंख बहुतायत थै इस लियै यहा पर डकैत ज्यादा रहतै थै ।राजाओ कै समय मै भी ।राजाओ कै समय यह गाँव एक डकैत ।डुंगसिह s/oरागैसिह राठौङ का 24 गाव का पटा था ।यै जयसिह राठौङ जाती कै राजपुत थै।जोधपुर दरबार कै भाईयो मै थै ।ऊनकै पिता कै नाम सै रागासर तालाब व छत्रिया और ईतियास आज भी मौजुद है । बाद मै विक्रम समत 1340 कै लगभग ईसको पाबुजी दैव धाधल कै पुत्र ।उन्होनै ईसको मार दिया । बाद मै यै जालो वालो गाव ।250 वर्ष खालसै रहा यानी कोई ठाकुर नही ।फिर बादमै ।जोधपुर दरबार राजा मानसिह जी कै वक्त मै यै गाव नव नाथो को दिया गया ।ईसी समय सीहङ भाटी भोमीचारा कै रूप मै आयै ।और फिर जाखण गाव सै एक घर दैरावर भाटी का और आया ।वह दैरावर भाटी नाथो की जागीर मै नव नाथो का चैला बन गया नाथो नै अपनै छैलै की एक बच्ची बङी हुई तो कहा की हम ईस बच्ची की शादी राजा मानसिह सै कर वाकै और जालोवाला गाव अपनै छैलै दैरावर भाटी को दिला दिया।अब यै गाव ।भाटी दैरावर भाटी कै पास था ।तब वि:समत 1610 मै डोडिया ठाकुर माधुसिह जी सरदारगढ कै ठाकुर सरदासिह कै आठवै पुत्र की औलाद है जो की यहा मारवाङ मै भाखरी गाव कै ठाकुर करणोत कै यहा पर अपनै दादाणै आयै हुवै थै ।ऐसै ही मिलनै कै लियै।तब अचानक भाखरी कै ठाकुर कै पास जोधपुर राजाजी का दिवान आया और कहा की बिकानैर दरबार नै अपनै कई घुङ सैनिक कै साथ जौधपुर सिमा मै हमला कर रहै है ।ईसलियै बिकानैर सैनिक यहा भाखरी तक पहुच नै वालै है ।तबी भाखरी आयै हुवै महमान । डोडिया माधुसिह जीऔर भाखरी ठाकुर ।कै रसालै मै बिकानैर कै सैनिको सै लङनै गयै डोडिया माधुसिह नै लङतै लङतै बिकानैर सैनिको को उदट गांव तक पिछै धकैल दिया ।वाहा पर डोडिया माधुसिह जी नै सिमा रैखा तय की ।फिर ईस युध्द मै डोडिया माधुसिह जी ।काम आ गयै । तब जोधपुर राजा नै ।लोहावट गाव जो की भाखरी कै पास ही है ।जो लोहावट गाव का पट्टा।डोडिया ।माधुसिह कै नाम कर दिया ।तब सै लोहावट कै निकट डोडिया ।माधुसिह की मुर्ती आज दिन मोजुद है ।और यै कहानी सरदारगढ कै बङवाजी ,राव की बैही मै आज भी मौजुद है ।फिर यह हुआ मामला ।की डोडिया माधुसिह कै वंशज मारवङ मै जागीर संभालनै नही आ सकै ।तब ईस लोहावट गाव की रैख चाकरी ।जोधपुर कै राजाजी नै एक माहजन कामदार बणिया जाती कै मोहतै को सुपुर्त करदी ।यै पता जब भाखरी कै ठाकुर जो की डोडिया माधुसिह कै दादाणी है ।ऊनको यै बात पता चली ।तो भाखरी ठा: साहैब नै यै खबर ।मैवाङ पहुचाई ।तो डो: माधुसिह कै वंशज जोधसिह नै अपनै दरबार उदयपुर सै गुजारस की ।कै मारवाङ ।मै हमारी जगीर लोहावट को जोधपुर राजा नै किसी बणियै को दै दैया है इसलियै आप जोधपुर राजा जी सै कहियै की डोडिया की जागीर सिर कटी है मारवाङ मै ईसको बरकारार रखै ।उस समय ।जोधपुर दरबारऔर उदयपुर दरबार मै रिस्तैदरी थी मामु ।भाणैज की ।यानी जोधपुर राजा विजैसिह जी ।उदयपुर दरबार कै मामाजी लगतै थै ।इसलियै उदयपुर दरबार नै जोधपुर सै कहा की डोडिया जोधसिह को ।मारवाङ मै वापस जागीर दी जाय ।जोधपुर नै मान लिया।जब ।और नारलाई 84 गाव का पट्टा डोडिया जोधसिह कै नाम किया ।जब खुशी सै उदयपुर राजा नै जोधपुर राजा विजसिह जी की शादी डोडिया बाईसा गुलाब कंवर सै सिरदारगढ करवाई गई ।बाद मै जब नारलाई गाव कै पट्टै मै कोई अच्छै करसण 84 गाव कै नाम लिखानै को डो: ठा: जोधसिह सै जोधपुर राजाजी कहा ।तब हमारै पुर्वज वापस भाखरी ठा:साहब कै पास आयै ।और कहा की आप हमारै रिश्तैदार भी है और मारवाङ कै जानकार भी ।इसलियै ।हमारै साथ चलै और अच्छै करसण कै गाव हमारै नारलाई 84 गाव कै पट्टै मै लिखाए ।तब भाखरी ठा: और हमार डोडिया पुर्वज ।दोनो भाखरी घोङो पर चलकर जालोङा यानी जालोवाला गाव आए ।जिस समय जालोङा उर्फ जालोवाला गाव दैरावर भाटी की जागीर थी। तब यह दोनो भाखरी ठा: व डोडियो दोनो रात रहनै कै लिय यहा दैरावर भाटी कै यहा रकना था ।तो दै:भाटी कै यहा बातै की तब दिन ढिलनै को ही था तब कुछ आपस मै बात करतै समय किसी बात पर उलझ गयै ।तबी दै:भाटी नै कहा यहा आयै है गाव पट्टे मै लिखवानै ।दै: भाटी को शख हो गया की यै शायद मैरै गाव मै कुछ गङबङ कर सकतै है ।ईसलिय इसको यहा रात नही रूकनै दैना ।यह समझ और दै: भाटी अन्दर मैल मै चला गया ।तब ।डोडिया और भाखरी ठा: को गुस्सा आ गया और कोट सै बाहर निकल कर दै:भाटी को आवाज लगाई ।और कहा ।की दै:भाटी साहब अब हम रात नही रकैगै ।पर ईतना कहकै जातै है की यै 84गाव नारलाई का पट्टा भलैही चला जाए पर ।अब हम डोडिया की जागीर ईस गाव जालोङा मै ही लैकर रहैगै ।यह कह कर डोडियो और भाखरी ठा: वापस रात को अपनै भाखरी गाव आगयै ।और सुबह होतै ही जोधपुर राजा विजैसिह कै पास चलै आऐ ।और वह 84 गाव नारलाई का पट्ट् वापस राजाजी को शोप दिया ।तब राजा साहैब विजैसिह नै कहा की क्या बात होगयी जो की आप यै पट्टा वापस सौप रहै हो डोडिया साहैब ।जब डोडिया ।की हुकम ।आपको पट्टा हमको दै ही है तो हुकम ।एक जालोङा यानी जालोवाला गाव है ।उसमै ही दैवो हुकम ।नही तो नही दै हुकम ।हमारी बात की ईजत रखो हुकम ।तब दरबार नै हुकम दिया ।कामदार को ।की बैही मै दैखो जालोङा किसकै नाम है या खालसै है ।तब कामदार नै दैख कै कहा की ।हुकम यह जालोङा जालोवाला गाव है जहा पर हुकम आपकै पुर्वज नै तोरण बाधा है ।तब विजसिह नै कहा की हम राजा लोग कयी शादिया करतै है ।ईन सम्बंध सै कोई मतलब नही ।राजाजी नै डोडियै की बात को मानतै हुवै गाव जालोङा जालोवाला मै बंट एक बटा दो यानी आधा आधा कर दिया ।आधा डोडिया रणजीतसिह कै नाम ।और आधा दै: भाटी कै नाम कर ।कै डोडिया रणजीतसिह मैवाङ कै नाम का पट्टा कर दिया ।और डोडिया नै जालोङा आकर आपनी बात रखनै कै लियै ।दैरावर भाटी कै मैहल कै पास ही बिलकुल बगल मै वैसा ही मैहल माळिया बनाया ।वो आज भी दोनो पास मै मोजुद है ।एक बात आपको याद दिलादै की यै दैरावर भाटी ।अपनी पदवी अब बङै पिता रावलसिह कै नाम सै रावलोत भाटी लगातै है ।?यही सब कहानी जालोङा की सरदारगढ डोडिया कै बङवा रावजी कै पास भी मिलैगी ?
🚩ठिकाणा = जालोङा जागीर🚩
👇👇जालोङा ठाकुरसाहब 👇👇
(1)ठा.सा रणजीत सिंह जी डोडिया
(2)ठा.सा स्वरूप सिंह जी डोडिया
(3)ठा.सा देवी सिंह जी डोडिया
(4)ठा.सा भोपाल सिंह जी डोडिया
(5)ठा.सा चंनण सिंह जी डोडिया*
ठा.सा चंनण सिंह जी डोडिया
जशवन्त सिंह डोडिया
ठिकाणा -सरदारगढ़
बागोल-जागीर
गांव -कोटेला
पोस्ट -बागोल
तहसील -नाथद्वारा
जिला-राजसमंद
राज्य-राजस्थान
पिनकोड-313301
मो,9950555091
आयल सिंह डोडिया
ठिकाणा -सरदारगढ़
जालोङा-जागीर
गांव -जालोङा
तहसील -फलोदी, लोहावट
जिला -जोधपुर
राज्य-राजस्थान
मो,7023948883
👇जालोङा जागीर फोटो 👇
👆ठिकाणा=जालोङा जोधपुर मारवाड़👆
जागीरदार
श्री रणजीतसिह जी
डोडिया
ठा:का फोटो है
मेंवाड ठिकाणा सरदारगढ़
डोडिया के छोटे बन्दु है ।
यह फोटो ठा:रणजीतसिंह जी डोडिया के बड़े पुत्र सरूप सिंह जी डोडिया
ठिःजालोङा जागीरदार मारवाङ (मेंवाड )
यह फोटो ठा:सरूप सिंह जी डोडिया के
बड़े पुत्र श्री दैवीसिंह जी डोडिया
ठि:जालोङा जागीरदार मारवाड़ (मेंवाड)
यै उस टाईम की लिखावट है पुरानै कागज की लमाबाई की वजह सै कापी दो की गई है ।ईसमै लिखा है ।। मारवाङ माहाराज विजैसिह ।डोडिया ठा: बखतसिह जी सिरगढ को अगलो पट्टो को गाव चून्दा जिलै मैङता निसक हिसा पिपलोदा नारलाई जिलै सोजत व मामङोदा जिला नागोर अम्बिया वगैरा गाव दिया ।जिण री आमदंनी सुपीया ।7750रू सात हजार सातसै नी चुक कारण सु माहाराज श्री भीमसिह जी राजवीयानै चुक करायो जद लावा रा भाणैज सुरसिह जी नै भी चुक करायो जिण रीस सु वारा मां ईन्द्र भाणैत जी भीत सु माथा री टकर दैकै दैह त्याग दीवी और ऊण मोकै बखतसिह को पट्टो जबत हुवो ।और संमत 1963 जब बिकानैर सु लोहावट पर फौज चङ आई जद बखतसिह को बैटो माधुसिहजी डोडिया गयै भाखरी ठा: रतनसिह की फौज मै मुकाबलो कियो और बिकानैर की फौज को ।।(अब अगलै पुस्ठ) मै।
को सिक्स दीवी ऊठै माधुसिह डोडिया नै लोहा पङीया गोलीया लागी और तीन चार आदमी काम आ गयै ।ईसकै सिल सिलै मै माहाराज भीमसिह बहुत प्रशन हुवै ।जब ईनकै बाद संमत 1977माहराज श्री मानसिहजी नै आगला पट्टा री एवज मै गाव जालोङो जिलै फलोदी रो दुसरो हिसो ईनायत कियो और कुरब रो बरताव । रनजीतसिह डोडिया साईरीयो ।(बखतसिह/सिरदारसिघोत)(माधोसिह /बखतसिघोत)(जोधसिह/माधोसिघोत)(रनजीसिह /जोधसिघोत)मोजुदा ठाकूर।उण टाईम मै पट्ठै मै बादमै (सरूपसिह /रन जीतसिह)(दैवीसिह /सरूपसिह)
यै वो हैवैलिया है जालोङा मै ।सफैद वाली दै: भाटी की है।और बिना कलर की है वो।डोडिया की ।यै खाली है । रह कोई नही सकता ।दैव चम्तकार कै कारण।यै फिर डोडिया ठा: दैवीसिह जी नै अपनी रहवासी । हवैली दुसरी साईड मै और बनाई ।
आज वर्तमान मै ईन महा पुरषो का बहुत ही लम्बा चोङा परीवार है ठि:जालोङा जोधपुर मारवाङ मै है ।
मेंवाड के डोडिया राजपूत
ठिकाणा -जालोङा
जोधपुर मारवाड़
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
Jashwant singh dodiya Thikana-sardargarah
जवाब देंहटाएंBagol-jaageer
Village-kotela
post-bagol
Tehsil nathdwara
District-rajsamand
rajasthan, mewar
Pincod-313301
mo-9950555091
अजीत सिंह जालोङा की पीढ़ी के बारे मे बताये अगर आप के पास जानकारी हो तो
हटाएंमेरा पास इस सम्बन्ध अलग से कोई जानकारी नही है । आपके पास इस सम्बन्ध जानकारी है तो शेयर कर सकते है ।
हटाएंमेरे पास जो जानकारी आयी वह मेने बता दी । इसके अलावा ओर कोई जानकारी है तो बता सकते है ।
मेरे पास है राव तेज सिंह 9057261402
हटाएंजय हिंगलाज माता
जवाब देंहटाएंपुर्ण जानकारी जालोङा गाँव की नही है
जवाब देंहटाएंपूर्ण जानकारी मेरे पास है जालोडा की 9057261402 राव तेज सिंह
जवाब देंहटाएं